Thursday, May 14, 2009

मेरा ये स्पर्श उसे हमेशा याद आएगा

मेरा ये स्पर्श उसे हमेशा याद आएगा
जब हम न होंगे तो गुजरा ज़माना याद आएगा
भर लेता था आँखों मैं यूँ तस्वीर उसकी
मेरा उसको यूँ नजरो मैं बसाना याद आएगा
मेरा ये स्पर्श उसे हमेशा याद आएगा

जब तन्हाई की आहट से तड़प उठता था मेरा मन
खामोश रहते थे लब, भर आते थे नयन
खामोश रह के भी कह गए हम दिल के फ़साने को
निगाहों से मेरा हाल- इ दिल सुनाना याद आएगा
मेरा ये स्पर्श उसे हमेशा याद आएगा

वो छोड़ने को हमें हो जाते है तैयार ज़रा सी बात पर
जान निकलती है मेरी उनकी इस जालिम अदा पर
वो दिल बहलाते है अपना ,मेरी यूँ जान जाने पर
जान देकर, उनका दिल बहलाने, उसे हमेशा याद आएगा
मेरा ये स्पर्श उसे हमेशा याद आएगा

3 comments:

Lalit Bharti said...

to some one spcl.....

अनिल कान्त said...

मैं शायर तो नहीं ..मगर ऐ हसीं ...जब से देखा ....मैंने तुझको ...मुझको ...शायरी आ गयी ...

दोस्त तुम पर ये पंक्तियाँ पूरी तरह फिट बैठती हैं

और दिल से लिखी हुई कविता हमेशा अच्छी होती है

Unknown said...

really bahut khoobsart likhi hai poem...sachmuch aapki poem padakar to pahala sparsh yaad aa gaya...really to much ...aisa lag raha aapne to apni puri feeling jo feel kiya hai wahi likha hai...

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